रूह का अहसास है, गलत बयानी नहीं |
प्रेम तो गज़ल है कोई कहानी नहीं |
गुलशन के आंगन गर आई है खुशबू
ये नियति है किसी की मेहरबानी नहीं |
सागर के किनारे बैठ ना आहें भरो
आंसू तो मोती है, महज पानी नहीं |
प्रीत के गीत अभी कोई कैसे गाए
सुबह उदास है, शाम भी सुहानी नहीं |
किसी के दुख से भला उसे क्या वास्ता
जिसके दिल मे दर्द, आंख में पानी नहीं |
वक्त ने चूर किया है दर्प कितनों का
वह चोट करता है, छोड़ता निशानी नहीं |
असफल हो गये महारथी भी मैदान में
जिसने हर हाल में लड़ने की ठानी नहीं |
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अरुण अर्णव खरे
अरुण अर्णव खरे